Re Manwa Prem Jagat Ka Saar [3]

Kottakkal Madhu

रे मनवा
प्रेम जगत का सार
रे मनवा प्रेम जगत का सार

प्रेम डगर पर चलते चलते
भक्ति की पावन नदिया आये
भक्ति की नदिया बहते-बहते
प्रेम के सागर में खो जाये

औ भक्ति के दोनो ओर प्रेम है
औ भक्ति के दोनो ओर प्रेम है
भक्त खड़े मझधार
रे मनवा
प्रेम जगत का सार
रे मनवा प्रेम जगत का सार

Curiosidades sobre la música Re Manwa Prem Jagat Ka Saar [3] del Ravindra Jain

¿Quién compuso la canción “Re Manwa Prem Jagat Ka Saar [3]” de Ravindra Jain?
La canción “Re Manwa Prem Jagat Ka Saar [3]” de Ravindra Jain fue compuesta por Kottakkal Madhu.

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