Mehalon Ke Adhikari

Ravindra Jain

महेलों के अधिकारी वन मे पलते है
महेलों के अधिकारी वन मे पलते है
भाग्या मे लिखे लेख
भाग्या मे लिखे लेख न मिटते न बदलते है
महेलों के अधिकारी वन मे पलते है
महेलों के अधिकारी वन मे पलते है

अमृत है वात्सल्या भरे अनुराग मे
भाग्या से ममता का सुख आता भाग मे
जीवन मे रंग भरते आँधियारे सदा
सोना कुंदन होता तब तक आग मे
लालन पालन मे
लालन पालन मे
सिया के दिन रात निकलते है
महेलों के अधिकारी वन मे पलते है

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