Phir Gaon Me Sajan Ke
गूंचो चटख ने का ज़माना आया
आँचल के ढलक ने का ज़माना आया
चुनरी हैं की उड़ती हुई तितली कोई
भँवरो के बहेक ने का ज़माना आया
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फिर गाओं मे हो ओ ओ ओ
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए
मेहंदी लगे हाथो को
मेहंदी लगे हाथो को, महकाने के दिन आए
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए
पायल की छनक बोली झँकार की रुत आई
शाखो पे खिली कलियाँ फिर प्यार की रुत आई
हो ओ इनकार की रुत आई इकरार की रुत आई
मस्ती में बहेकने बहकाने के दिन आए हो ओ ओ
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए
इक आग लगाती हैं चलती हुई पुरवाई
लहराती हैं नस नस में अंगड़ाई पे अंगड़ाई
हो ओ ओ सब सुनता अकेला पन सब देखती तन्हाई
आईने में अपने से शर्माने के दिन आए हो ओ ओ
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए
जब मोर पापिहे की आवाज़ पे नाचेगा
परबत पे पवन के संग हर बादल झूमेगा
हो ओ ओ रिम-झिम सी फवारो में तन और भी दहकेगा
झूलो में दुपट्टों के लहराने के दिन आए हो ओ ओ
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए
मेहंदी लगे हाथो को
मेहंदी लगे हाथो को, महकाने के दिन आए
फिर गाओं मे साजन के लौट आने के दिन आए