Tune Raat Gavai Soi Ke

MURLI MAHOHAR SWARUP

तूने रात गँवायी सोय के
दिवस गँवाया खाय के
हीरा जनम अमोल था
कौड़ी बदले जाय
तूने रात गँवायी सोय के

सुमिरन लगन लगाय के
मुख से कछु ना बोल रे
बाहर के पट बंद कर ले
अंतर के पट खोल रे
माला फेरत जुग हुआ
गया ना मन का फेर रे
गया ना मन का फेर रे
हाथ का मनका छोड़ दे
हाथ का मनका छोड़ दे
मन का मनका फेर
तूने रात गँवायी सोय के
दिवस गँवाया खाय के
हीरा जनम अमोल था
कौड़ी बदले जाय
तूने रात गँवायी सोय के

दुख में सुमिरन सब करें
सुख में करे न कोय रे
जो सुख में सुमिरन करे
तो दुख काहे को होय रे
सुख में सुमिरन ना किया
दुख में करता याद रे
दुख में करता याद रे
कहे कबीर उस दास की
कहे कबीर उस दास की
कौन सुने फ़रियाद
तूने रात गँवायी सोय के
दिवस गँवाया खाय के
हीरा जनम अमोल था
कौड़ी बदले जाय
तूने रात गँवायी सोय के

Curiosidades sobre la música Tune Raat Gavai Soi Ke del Mukesh

¿Quién compuso la canción “Tune Raat Gavai Soi Ke” de Mukesh?
La canción “Tune Raat Gavai Soi Ke” de Mukesh fue compuesta por MURLI MAHOHAR SWARUP.

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