Kya Khoob Lagti Ho [Dharmatma]

ANANDJI KALYANJI, Indeewar, ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH

क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
फिर से कहो कहते रहो अच्छा लगता है
जीवन का हर सपना अब सच्चा लगता है
क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो

तारीफ़ करोगे कब तक बोलो कब तक
मेरे सीने में साँस रहेगी जब तक
कब तक मै रहूँगी मन में हाँ मन में
सूरज होगा जब तक नील गगन में
फिर से कहो कहते रहो अच्छा लगता है
जीवन का हर सपना अब सच्चा लगता है
ओ क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
तुम प्यार से प्यारी हो तुम जान हमारी हो

खुश हो ना मुझे तुम पा कर मुझे पाकर
प्यासे दिल को आज मिला है सागर
क्या दिल में है और तमन्ना है तमन्ना
हर जीवन में तुम मेरे ही बनना
फिर से कहो कहती रहो अच्छा लगता है
जीवन का हर सपना अब सच्चा लगता है
ओ क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
ओ क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
फिर से कहो कहते रहो अच्छा लगता है
जीवन का हर सपना अब सच्चा लगता है
ओ क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो
तुम प्यार से प्यारी हो तुम जान हमारी हो
तुम प्यार से प्यारी हो तुम जान हमारी हो हं हं हं हं हं

Curiosidades sobre la música Kya Khoob Lagti Ho [Dharmatma] del Mukesh

¿Quién compuso la canción “Kya Khoob Lagti Ho [Dharmatma]” de Mukesh?
La canción “Kya Khoob Lagti Ho [Dharmatma]” de Mukesh fue compuesta por ANANDJI KALYANJI, Indeewar, ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH.

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