Koi Din Zindagi Ke
कोई दिन ज़िन्दगी के
गुनगुनाकर ही बिताते हैं
कोई दिन ज़िन्दगी के
गुनगुनाकर ही बिताते हैं
कोई पाकर के खोते हैं
कोई खो कर के पाता हैं
हमारी ज़िन्दगी भी क्या
कभी हँसना कभी रोना
हमारी ज़िन्दगी भी क्या
कभी हँसना कभी रोना
जिसे हम अपना कहते हैं
वह हम से दूर जाता हैं
उम्मीदे लूट गयी जिसकी
तसव्वुर छीन गया जिसका
उम्मीदे लूट गयी जिसकी
तसव्वुर छीन गया जिसका
वह कश्ती आप ही
गहरे समुन्दर में डूबता है
अगर दिल हो गया वीरान
करूँगा मौत से उल्फ़त
किसी बदहाल पर अब कौन
दो आंसू बहाते हैं
किसी के चैन से आराम से
क्या वास्ता अपना
न कोई साथ देता हैं
न कोई पास आता हैं
कोई दिन ज़िन्दगी के
गुनगुनाकर ही बिताते हैं