Kise Yaad Rakhoon
कोई दिल में है और
कोई है नजर में
मोहब्बत के सपने है
मैं किसके उठाऊ
किसी कशमकश में
जिए जा रहा हु
किसे याद रखूँ
किसे भूल जाऊं
किसे याद रखूँ
किसे भूल जाऊं
उधर दिल मोहब्बत में उनको दिया है
इधर फ़र्ज़ का बोझ सर पे लिया है
सारी जिंदगी तूने ये क्या किया है
किसे याद रखूँ
किसे भूल जाऊं
न बस में है मेरे उन्हें भूल जाना
न बस में है इनको नजर से गिराना
मेरी बेबसी का
बस इतना फ़साना
किसे याद रखूँ
किसे भूल जाऊं
किसे याद रखूँ
किसे भूल जाऊं