Rehbra Ve

Raju Sardar, Soumyajit Banerjee

रूबरू है इक नयी सी दुनिया
देखी नही पहले कभी ऐसी दुनिया ओ दिल!
मीठी सी खलिश है आशिक़ुई यहाँ
रहते रहते जाने लगा सीने से ओ दिल!

जादू सा हो गया
कुछ तो है जो खो गया
बेसब्री बेहिसाब है क्यूँ
धीमा क्यूँ है शहर
बादामी दोपहर
उसके चेहरे से है गुलाब क्यूँ
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे क्यूँ चुप है बोल तू
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे कुछ भाद खोल तू

रास्ते पे मुझको
च्छू के भागे अब हवायें
जिस तरफ भी जौन
हैं बरसती बस दुआयं

छोटी छोटी बातों पे भी
हो रही हू खुश मैं
तुझसे मिलके कुछ नही से
हो गयी हूँ कुच्छ मैं

जादू सा हो गया
कुछ तो है जो खो गया
बेसब्री बेहिसाब है क्यूँ
धीमा क्यूँ है शहर
बादामी दोपहर
उसके चेहरे से है गुलाब क्यूँ
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे क्यूँ चुप है बोल तू
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे कुछ भाद खोल तू

सोचता हूँ आख़िर
क्यूँ है इतनी बेकरारी
एक पल में दुनिया
हो गयी क्यूँ इतनी प्यारी
खिली खिली सी ज़मीन है अब
नये नये रंग में
उड़ी उड़ी फिरती हूँ महकी
हवाओं के संग में
जादू सा हो गया
कुछ तो है जो खो गया
बेसब्री बेहिसाब है क्यूँ
धीमा क्यूँ है शहर
बादामी दोपहर
उसके चेहरे से है गुलाब क्यूँ
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे क्यूँ चुप है बोल तू
रहबरा वे, रहबरा वे
रहबरा वे कुछ भाद खोल तू ओ..आ

Curiosidades sobre la música Rehbra Ve del Mohit Chauhan

¿Quién compuso la canción “Rehbra Ve” de Mohit Chauhan?
La canción “Rehbra Ve” de Mohit Chauhan fue compuesta por Raju Sardar, Soumyajit Banerjee.

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