Zamana Jo Ankhen Dikhata Hai

Sarshar Sailani

ज़माना जो आँखें दिखता है तुझको
ज़माने को आँखें दिखाए चला चल

इसी में तेरी शान है आए मुसाफिर
कदम अपना आयेज बढ़ाए चला चल
चला चल मुसाफिर किनारे किनारे किनारे किनारे
प्रभु के भरोशे प्रभु के भरोशे
प्रभु के सहारे
किनारे किनारे किनारे किनारे

अभी से ना छोड़ अपना तू दिल मुसाफिर
अभी डोर है तेरी मंज़िल मुसाफिर
उसी की है मंज़िल जो
उसी की है मंज़िल जो
हिम्मत ना हारे
किनारे किनारे किनारे किनारे
चला चल मुसाफिर किनारे किनारे
तेरा काम चलना है रुकना नही है
झुकना है दुनिया को झुकना नही है
ज़माना झुके सर को
ज़माना झुके सर को
ठोकर ना मारे
किनारे किनारे किनारे किनारे

हुआ है किसी का ना होगा ज़माना
तेरे हाथ है अपनी बिगड़ी बनाना
ना छोड़ अपनी कश्ती ना छोड़ अपनी कश्ती
किसी के सहारे किनारे किनारे

Curiosidades sobre la música Zamana Jo Ankhen Dikhata Hai del Mohammed Rafi

¿Quién compuso la canción “Zamana Jo Ankhen Dikhata Hai” de Mohammed Rafi?
La canción “Zamana Jo Ankhen Dikhata Hai” de Mohammed Rafi fue compuesta por Sarshar Sailani.

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