Samjha Main Qismat Khul Gai

MAJROOH SULTANPURI, RAHUL DEV BURMAN

समझा मैं किस्मत खुल गयी
समझा मैं किस्मत खुल गयी
मुझको राम भूधिया मिल गयी
समझा मैं किस्मत खुल गयी
मुझको राम भूधिया मिल गयी
अरे पहुँचा जब उसकी महफ़िल मे
क्या क्या अर्मा थे दिल के सब रह गये दिल मे
समझा मैं किस्मत खुल गयी
मुझको राम भूधिया मिल गयी

सोच रहा था मैं है मेरी महबूबा
चंदा सा एक टुकड़ा
झुमके देखूँगा चुमके देखूँगा
गोरा गोरा मुखड़ा
सोच रहा था मैं है मेरी महबूबा
चंदा सा एक टुकड़ा
झुमके देखूँगा चुमके देखूँगा
गोरा गोरा मुखड़ा
यही धुन थी बसुँगा मैं
जवा गालो के तिल मैं
क्या क्या अरमान थे दिल में रह गये दिल मैं
समझा मैं किस्मत खुल गयी
मुझको राम भूधिया मिल गयी

देख सिंगर उसका मैं तो यही समझा
है कोई सूरत वाली चेहरे की लाली को
पहॉंच के देखा तो निकली भूधिया काली
देख सिंगर उसका मैं तो यही समझा
है कोई सूरत वाली चेहरे की लाली को
पहॉंच के देखा तो निकली भूधिया काली
दुखी बनके पड़ा हूँ मैं मोहब्बत की मंज़िल में
क्या क्या अर्मा थे दिल के सब रह गये दिल में
समझा मैं किस्मत खुल गयी मुझको राम भूधिया मिल
अरे पहुँचा जब उसकी महफ़िल में क्या क्या अर्मा थे दिल के
सब रह गये दिल में
समझा मैं किस्मत खुल गयी मुझको राम भूधिया मिल गयी

Curiosidades sobre la música Samjha Main Qismat Khul Gai del Mohammed Rafi

¿Quién compuso la canción “Samjha Main Qismat Khul Gai” de Mohammed Rafi?
La canción “Samjha Main Qismat Khul Gai” de Mohammed Rafi fue compuesta por MAJROOH SULTANPURI, RAHUL DEV BURMAN.

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