Saathi Na Koi Manzil

Majrooh Sultanpuri, S D Burman

हम्म हम्म हम्म हम्म

साथी न कोई मंज़िल
दिया है न कोई महफ़िल
चला मुझे लेके ऐ दिल
अकेला कहाँ
साथी न कोई मंज़िल
दिया है न कोई महफ़िल
चला मुझे लेके ऐ दिल
अकेला कहाँ
साथी न कोई मंज़िल

हमदम मिले कोई कही
ऐसे नसीब ही नहीं
बेदर्द है ज़मी दूर आसमान
हमदम मिले कोई कही
ऐसे नसीब ही नहीं
बेदर्द है ज़मी दूर आसमान
साथी न कोई मंज़िल
दिया है न कोई महफ़िल
चला मुझे लेके ऐ दिल
अकेला कहाँ
साथी न कोई मंज़िल

गालिया है अपने देश की
फिर भी है जैसे अजनबी
किसको कहे कोई अपना यहाँ
गालिया है अपने देश की
फिर भी है जैसे अजनबी
किसको कहे कोई अपना यहाँ
साथी न कोई मंज़िल
दिया है न कोई महफ़िल
चला मुझे लेके ऐ दिल
अकेला कहाँ
साथी न कोई मंज़िल

पत्थर के आशना मिले
पत्थर के देवता मिले
शीशे का दिल लिए जाऊं कहाँ
पत्थर के आशना मिले
पत्थर के देवता मिले
शीशे का दिल लिए जाऊं कहाँ
साथी न कोई मंज़िल
दिया है न कोई महफ़िल
चला मुझे लेके ऐ दिल
अकेला कहाँ
साथी न कोई मंज़िल

Curiosidades sobre la música Saathi Na Koi Manzil del Mohammed Rafi

¿Quién compuso la canción “Saathi Na Koi Manzil” de Mohammed Rafi?
La canción “Saathi Na Koi Manzil” de Mohammed Rafi fue compuesta por Majrooh Sultanpuri, S D Burman.

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