Kuchh Na Mila Kisi Ko
सुख शांति उसे क्या मिले जिसके मन मे बैर
आपस के इस बैर मे नही किसी की खैर
कुछ ना मिला किसी को नफ़रत के द्वार से
कुछ ना मिला किसी को नफ़रत के द्वार से
अदालत के द्वार से
आपस की तकरार को निपटा लो प्यार से
कुछ ना मिला किसी को नफ़रत के द्वार से
अदालत के द्वार से
आपस की तकरार को निपटा लो प्यार से
किसी की उलझन कभी ना सुलझी
Court कचहरी जा के
हर वकील का क्यूँ भरते हो
अपने घर को लूटाके हो हो हो
अपना गला ना काटो अपनी ही तलवार से
अदालत के द्वार से
आपस की तकरार को निपटा लो प्यार से
इंसान की आदत और अदालत दोनो एक ही जैसे
जीवनभर ये पिंड ना छोड़े इनसे बचे कोई कैसे हो हो हो
जीत से भी दुख उतना दुख जितना हार से
अदालत के द्वार से
आपस की तकरार को निपटा लो प्यार से
आपस की तकरार को निपटा लो प्यार से
कुछ ना मिला किसी को नफ़रत के द्वार से
कुछ ना मिला