Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin [Revival]

Naushad, Shakeel Badayuni

कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं

मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ
मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ
कैसे कह दूँ गम से घबराता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं

कल तो सब थे, कारवाँ के साथ साथ
कल तो सब थे, कारवाँ के साथ साथ
आज कोई राह दिखलाता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं

ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो
ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो
इस में अब कुछ भी नज़र आता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं

Curiosidades sobre la música Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin [Revival] del Mohammed Rafi

¿Quién compuso la canción “Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin [Revival]” de Mohammed Rafi?
La canción “Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin [Revival]” de Mohammed Rafi fue compuesta por Naushad, Shakeel Badayuni.

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