Kauva Chala Hans Ki Chaal

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

कौवा चला हंस की चाल
आखिर भुला अपनी चाल
अपनी चाल को भुला लोगो
अपनी चाल को भुला
कौवा चला हंस की चाल
आखिर भुला अपनी चाल
अपनी चाल को भुला लोगो
अपनी चाल को भुला
कौवा चला हंस की चाल

दुनिआ भर की सैर को देखो
निकला है ये कौवा
उड़ते उड़ते इस नगरी में आ पंहुचा है कौवा
बुलबुल का हर गीत
चुराकर गाता है ये कौवा
ओरो की नकतली पर ये जीता है ये कौवा

कौवा चला हंस की चाल
आखिर भुला अपनी चाल
अपनी चाल को भुला लोगो
अपनी चाल को भुला
कौवा चला हंस की चाल
आखिर भुला अपनी चाल
अपनी चाल को भुला लोगो
अपनी चाल को भुला
कौवा चला हंस की चाल

पैसा वेषा पास नहीं है भूखा है बेचारा
मंजिल मंजिल पेट की खातिर फिरता है आवारा
औरो की जो रिस करेगा वो तो है दीवाना
पत्थर कैसे बन सकता है चाँदी का पैमाना
कौवा चला हंस की चाल
आखिर भुला अपनी चल
अपनी चाल को भुला लोगो
अपनी चाल को भुला
कौवा चला हंस की चाल
आखिर भुला अपनी चल
अपनी चाल को भुला लोगो
अपनी चाल को भुला
कौवा चला हंस की चाल

बचाओ बचाओ बचाओ फस तो गया ना मुतकुट तो हो गया ना अरे हजरता मुझे टोलियो से बचाओ ये हजरता टोलियो से बचाओ मर गया बचाओ मुझे काव काव काव काव

Curiosidades sobre la música Kauva Chala Hans Ki Chaal del Mohammed Rafi

¿Quién compuso la canción “Kauva Chala Hans Ki Chaal” de Mohammed Rafi?
La canción “Kauva Chala Hans Ki Chaal” de Mohammed Rafi fue compuesta por Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan.

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