Idhar To Haath La Pyaare
छोड़ दे मन के भेद भाव को
तोड़ दे झूट की चार दिवारी
जनम मरण के एक तार से
बंधी हुई यह दुनिया सारी
कोई आता कोई जाता है
कोई आता कोई जाता है
सुख दुःख दोनों पाऊँ पर
संसार यह चलता जाता है
कोई आता कोई जाता है
एक डगर के हम सब राही
मंजिल एक हमरी
हर भरे लोगो की दुनिया
बस्ती है कब नायरी
जाने फिर क्यों मन का पंछी
माया फस जाता है
कोई आता कोई जाता है
कोई आता कोई जाता है
भूखे को रोटी दे अपनी
खुद भूखे सो जाए
और का दुःख अपना समझे
वो इंसान कहाये
जो मतलब से लिए जिए
वो जीते जी मर जाता है
कोई आता कोई जाता है
कोई आता कोई जाता है