Aur Kuchh Der Thahar

Khaiyyaam, Azmi Kaifi

और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर

रात बाक़ी है अभी रात में रस बाक़ी है
पाके तुझको तुझे पाने की हवस बाक़ी है
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर

जिस्म का रंग फ़ज़ा में जो बिखर जायेगा
महरबान हुस्न तेरा और निखर जायेगा
लाख ज़ालिम है ज़माना मगर इतना भी नहीं
तू जो बाहों में रहे वक़्त ठेहर जायेगा
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर

ज़िंदगी अब इन्हीं क़दमों पे लुटा दूँ तो सही
ज़िंदगी अब इन्हीं क़दमों पे लुटा दूँ तो सही
ऐ हसीन बुत मैं ख़ुदा तुझको बना दूँ तो सही
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठेहर

Curiosidades sobre la música Aur Kuchh Der Thahar del Mohammed Rafi

¿Quién compuso la canción “Aur Kuchh Der Thahar” de Mohammed Rafi?
La canción “Aur Kuchh Der Thahar” de Mohammed Rafi fue compuesta por Khaiyyaam, Azmi Kaifi.

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