Gaaye Jaa [Male]

AJAY GOGAVALE, ATUL GOGAVALE, AMITABH BHATTACHARYA

सूरज तेरा गर्दिश में है
ढ़लते हुए कह गया
फिर लौट के आऊंगा मैं
नज़दीक ही है सुबह
गाये जा, गाये जा
ग़म में है सरगम
गुनगुना ये धुन, गाये जा
गाये जा, गाये जा
रात के धागों से सवेरा बुन, गाये जा
गाये जा, गाये जा
ग़म में है सरगम
गुनगुना ये धुन, गाये जा

अपना ही अपना, क्यों कहलाया है
कैसे कोई तय करता है कौन पराया है
एक वही रिश्ता, तेरी कमाई है
दर्द के पल में, जिसने तेरा साथ निभाया है
टूटा हुआ तो क्या सितारा तू
किसी का बन सहारा तू

म्म
गाये जा, गाये जा
रात के धागों से सवेरा बुन, गाये जा
गाये जा, गाये जा
ग़म में है सरगम
गुनगुना ये धुन, गाये जा

हो.. आँखों में रखना, सपने तू कल के
तुझको लेकिन उन तक
जाना होगा खुद चल के
मझदारों से तू, हार नहीं जाना
साहिल तुझको पाना होगा लहरों में ढ़लके
है ज़िन्दगी वही जो चलती है
ये गिरके ही संभलती है

आ आ आ

Curiosidades sobre la música Gaaye Jaa [Male] del Mohammed Irfan

¿Quién compuso la canción “Gaaye Jaa [Male]” de Mohammed Irfan?
La canción “Gaaye Jaa [Male]” de Mohammed Irfan fue compuesta por AJAY GOGAVALE, ATUL GOGAVALE, AMITABH BHATTACHARYA.

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