Ab Toh Har Roz
Mithoon, Sayeed Quadri
अब तो हर रोज यह सोचे हम उठते हैं
तेरा चेहरा कहीं एक बार नज़र आ जाए
और हर शब यहां सोचे कब सोते हैं
तू दबे पान ख्वाब में कहीं चला आ रे
जिस घाडी तुझसे पहली बार आंख तकराई
ऐसा लगा मुझ में जिंदगी आई
बात फिर जहान में आँखों से तेरे तकराई
डर तक अब जिस्म से मेरे तेरी खुशबू आई
दिल ने तुम्हें तुझसे मुलकत के सारे लम्हे
तुझको मालुम ही नहीं कितनी बार दोहराई
इश्क ने तेरे हम जिन का धंग पढ़ाया
एक नए अंदाज में खुद हमसे हमको मिलवाया
इन दिनो जब भी कभी मैंने आया देखा:
अपने चेहरे पे कहिं
कुछ नूर सा पाया मिमी मिमी मिमी
अब तुम्हारे कैसे ये दिन रात दुआ करें
नूर चेहरे पर ये सारी उमर को बस थेर जाए
अब तो हर रोज यह सोचे हम उठते हैं
तेरा चेहरा कहीं एक बार नज़र आ जाए