Zara Si Aahat Hoti Hai [Revival]

Azmi Kaifi, Madan Mohan

ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

छुपके सीने में आ आ आ आ आ आ
छुपके सीने में कोई जैसे सदा देता है
शाम से पहले दिया दिल का जला देता है
है उसी की ये सदा
है उसी की ये अदा
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

शक्ल फिरती है आ आ आ आ आ आ
शक्ल फिरती है निगाहों में वोही प्यारी सी
मेरी नस-नस में मचलने लगी चिंगारी सी
छू गई जिस्म मेरा किसके दामन की हवा
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

Curiosidades sobre la música Zara Si Aahat Hoti Hai [Revival] del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Zara Si Aahat Hoti Hai [Revival]” de Lata Mangeshkar?
La canción “Zara Si Aahat Hoti Hai [Revival]” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Azmi Kaifi, Madan Mohan.

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