Zamane Ke Malik Duhai Hai Teri

Shakeel Badayuni

जमाने के मलिक दुहाई है तेरी
जमाने के मलिक दुहाई है तेरी
की दुनिया ने अपना चलन बेच डाला
की दुनिया ने अपना चलन बेच डाला
दिए बाग बाग ने बुलबुल को धोखे
दिए बाग बाग ने बुलबुल को धोखे
बहारे जब आई तो चमन बेच डाला
की दुनिया ने अपना चलन बेच डाला

मिटा कर हर एक आरजू हर एक तमन्ना
जमाने के बाजार में लाई दुनिया
जमाने के बाजार में लाई दुनिया
की ये खूब सौदे बुने जिंदगी के
जनाज़े खरीदे कफ़न बेच डाला
जनाज़े खरीदे कफ़न बेच डाला
दिए बाग बाग ने बुलबुल को धोखे
दिए बाग बाग ने बुलबुल को धोखे
बहारे जब आई तो चमन बेच डाला
की दुनिया ने अपना चलन बेच डाला

पहस के असिरो को मजबूर पाके
दिखाते है सैया आज क्या क्या तमाशे
दिखाते है सैया आज क्या क्या तमाशे
किसी मस्त गुल की खुश्बू चुरा ली
किसी गुल का नाज़ुक बदन बेच डाला
दिए बाग बाग ने बुलबुल को धोखे
दिए बाग बाग ने बुलबुल को धोखे
बहारे जब आई तो चमन बेच डाला
की दुनिया ने अपना चलन बेच डाला

Curiosidades sobre la música Zamane Ke Malik Duhai Hai Teri del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Zamane Ke Malik Duhai Hai Teri” de Lata Mangeshkar?
La canción “Zamane Ke Malik Duhai Hai Teri” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Shakeel Badayuni.

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