Woh Shaam Kuch Aajib Thi

Gulzar, KUMAR HEMANT

वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी

झुकी हुई निगाह में
कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसी में इक
हसीन सा गुलाल था
मैं सोचता था मेरा नाम
गुनगुना रही है वो
न जाने क्यों लगा मुझे
के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी

मेरा ख़याल है अभी
झुकी हुई निगाह में
खिली हुई हँसी भी है
दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूँ मेरा नाम
गुनगुना रही है वो
यही ख़याल है मुझे
के साथ आ रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी

Curiosidades sobre la música Woh Shaam Kuch Aajib Thi del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Woh Shaam Kuch Aajib Thi” de Lata Mangeshkar?
La canción “Woh Shaam Kuch Aajib Thi” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Gulzar, KUMAR HEMANT.

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