Phaili Hui Hai Sapnon Ki Bahen

S.D. BURMAN, SAHIR LUDHIANVI

आ आ आ आ
फैली हुई है सपनो की बाहे
आजा चल दे कही दूर
वही मेरी मंजिल वही तेरी राहे
आजा चल दे कही दूर
फैली हुई है सपनो की बाहे
आजा चल दे कही दूर
वही मेरी मंजिल वही तेरी राहे
आजा चल दे कही दूर

ऊँची घटा के साये तले छिप जाये
धुंधली फ़िज़ा में कुछ खोये खुछ पाये
ऊँची घाट के
ऊँची घटा के साये तले छिप जाये
धुंधली फ़िज़ा में कुछ खोये खुछ पाये
साँसों की लय पर कोई ऐसी धुन गए
देदे जो दिलको दिलकी पनहे
आजा चल दे कही दूर
फैली हुई है सपनो की बाहे
आजा चल दे कही दूर

आ आ आ आ आ आ आ आ आ
झूला धनक का धीरे धीरे हम झूले
अम्बर तो क्या है तारो के भी लब छुले
झूला धनक का
झूला धनक का धीरे धीरे हम झूले अम्बर तो क्या है
तारो के भी लब छुले मस्ती में झूले और सभी ग़म भूले
देखे न पीछे मुड़के निगाहें
आजा चल दे कही दूर फैली हुई है सपनो की बाहे
आजा चल दे कही दूर वही मेरी मंजिल वही तेरी राहे
आजा चल दे कही दूर

Curiosidades sobre la música Phaili Hui Hai Sapnon Ki Bahen del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Phaili Hui Hai Sapnon Ki Bahen” de Lata Mangeshkar?
La canción “Phaili Hui Hai Sapnon Ki Bahen” de Lata Mangeshkar fue compuesta por S.D. BURMAN, SAHIR LUDHIANVI.

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