Paise Ki Kahani

KUMAR HEMANT, Sahir Ludhianvi

कहते है इससे पैसा बच्चों
ये चीज़ बड़ी मामूली है
लेकिन इस पैसे के पीछे
सब दुनिया रास्ता भूलि है
इन्सान की बनाई चीज़ है ये
लेकिन इनसान पे भारी है
हल्कीसी झलक इस पैसे की
धर्म और ईमान पे भारी है
ये झूठ को सच कर देता है
और सच को झूठ बनता है
भगवान नहीं पर हर घर में
भगवान की पदवी पता है

इस पैसे के बदले दुनिया में
इंसानो की मेहनत बिकती है
जिस्मों की हरारत बिकती है
रूहो की शराफ़त बिकती है
करदार ख़रीदे जाते है
दिलदार ख़रीदे जाते है
मिटटी के सही पर इससे ही
अवतार ख़रीदे जाते है

इस पैसे के खातिर दुनिया में
आबाद वतन बट जाते है
धरती टुकड़े हो जाती है
लाशो के कफ़न बस जाते है
इज़्ज़त भी इस से मिलाती है
तालीम भी इस से मिलते है
तहज़ीब भी इस से आती है
तालीम भी इस से मिलाती है

हम आज तुम्हे इस पैसे का
सारा इतिहास बताते है
कितने युग अब तक गुज़ारे है
उन सब के झलक दिखलाते है
इक ऐसा वक़्त भी था जग में
जब इस पैसे का नाम न था
चीज़े चीज़ों पे चलते थे
चीज़ों का कुछ भी दाम न था

चीज़ों से चीज़ बदलने का
यह ढग बहुत बेकार सा था
लेना भी कठिन था चीज़ो का
ले जाना भी दुशवार सा था
इनसान ने तब मिलकर सोचा
क्यों वक़्त इतना बरबाद करे
हर चीज़ की जो कीमत ठहरे
वो चीज़ का क्यों न इज़ाद करे
इस तरह हमारे दुनिया में
पहला पैसा तैयार हुआ
और इस पैसे की हसरत में
इनसान ज़लील ओ खार हुआ

पैसेवाले इस दुनिया में
जागीरों के मालिक बन बैठे
मज़दूरों और किसानों के
तक़दीर के मालिक बन बैठे
जंगो में लदया भूखो को
और अपने सर पर ताज रखा
निर्धरण को दिया परलोक का सुख
अपने लिए जग का राज़ रखा
पंडित और मुल्ला इल्क के लिए
मज़हब के सही फैलाते रहे
शायर तारीफ़े लिखते रहे
गायक दरबारी गाते रहे

आ आ ओ ओ

वैसा ही करेंगे हम जैसा तुझे चाहिए
पैसा हमें चाहिए

वैसा ही करेंगे हम जैसा तुझे
चाहिए पैसा हमें चाहिए

हल तेरे जोतेंगे
खेत तेरे बोयेंगे
ज़ोर तेरे हांकेंगे
बोझ तेरा धोयेंगे
पैसा हमें चाहिए पैसा पैसा
वैसा ही करेंगे हम जैसा तुझे
चाहिए पैसा हमें चाहिए

पैसा हमें दे दे राजा गुण तेरे गाएँगे
तेरे बच्चे बच्चियों का खैर
मनाएंगे पैसा हमें चाहिए

वैसा ही करेंगे हम जैसा तुझे
चाहिए पैसा हमें चाहिए

युग युग से ऐसे दुनिया में
हम दान के टुकड़े माँगते है
हल जोत के फसल काट के भी
पकवान के टुकड़े माँगते है
लेकिन इन भीख के टुकड़ों से
कब भूख का सुकत दूर हुआ
इन्सान सदा दुःख झेलेगा
अगर ख़त्म भी यह दस्तूर हुआ
ज़ंज़ीर बानी है कदमो की
वह चीज़ पहले गहना थी
भारत के सपूतों आज तुम्हे
बस इतनी बात ही केहना थी
जिस वक़्त बड़ा हो जाओगे तुम
पैसे का राज मिटा देना
अपना और अपने जैसों का
युग युग का क़र्ज़ चुका देना
युग युग का क़र्ज़ चुका देना

Curiosidades sobre la música Paise Ki Kahani del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Paise Ki Kahani” de Lata Mangeshkar?
La canción “Paise Ki Kahani” de Lata Mangeshkar fue compuesta por KUMAR HEMANT, Sahir Ludhianvi.

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