O Mehrban Dekho Zara

RAJENDRA KRISHAN, LAXMIKANT PYARELAL

ओ मेहरबान देखो ज़रा
कैसे गैरो ने लूटा है मेरा चमन
ओ मेहरबान देखो ज़रा
कैसे गैरो ने लूटा है मेरा चमन
कालिया मसल दी पूछो को तोड़ा
साखो पे एक फूल भी तो ना छोड़ा
इस ज़ुल्म पे ये जमी चुप रही
ओर कुछ भी ना बोला ये नीला गगन
ओ मेहरबान देखो ज़रा
कैसे गैरो ने लूटा है मेरा चमन

चाँद तरो से भी परदा करती थी मई
अपने साए से भी आप डरती थी मई
चाँद तरो से भी परदा करती थी मई
अपने साए से भी आप डरती थी मई
अकेली कभी ना निकली मे घर से
अकेली कभी ना निकली मे घर से
मिलाई नज़र ना किसी की नज़र से
एक पवन के साइवा ना किसी ने छुआ
सोने चाँदी से उजला मेरा बदन
एक पवन के साइवा ना किसी ने छुआ
सोने चाँदी से उजला मेरा बदन
ओ मेहरबान देखो ज़रा
कैसे गैरो ने लूटा है मेरा चमन

मैने कुछ खो दिया ओर कुछ पा लिया
जो हुआ सो हुआ दिल को समझा लिया
मैने कुछ खो दिया ओर कुछ पा लिया
जो हुआ सो हुआ दिल को समझा लिया
गिन गिन के बदले दुनिया से लूँगी
गिन गिन के बदले दुनिया से लूँगी
धोखे मिले है धोखे ही दूँगी
नाज़ जिस जिस पे था लूट गयी वो अदा
अब सराफ़ात का मैने भी छोड़ा चलन
नाज़ जिस जिस पे था लूट गयी वो अदा
अब सराफ़ात का मैने भी छोड़ा चलन
ओ मेहरबान देखो ज़रा
कैसे गैरो ने लूटा है मेरा चमन

Curiosidades sobre la música O Mehrban Dekho Zara del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “O Mehrban Dekho Zara” de Lata Mangeshkar?
La canción “O Mehrban Dekho Zara” de Lata Mangeshkar fue compuesta por RAJENDRA KRISHAN, LAXMIKANT PYARELAL.

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