Mai Ri Main Kase Kahoon

Majrooh Sultanpuri, Madan Mohan

मैं कासे कहूँ पैर अपने जिया की
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की माई री

ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाए ना
तन मन भीगो दे आके ऐसी घटा कोई छाये ना
मोहे बहा ले जाए ऎसी लहर कोई आये ना
ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाए ना
पड़ी नदिया के किनारे मैं प्यासी माई री
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की माई री

पी की डगर मैं बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा
मुखड़ा है फीका-फीका नैनों में सोहे नहीं काजरा
कोई जो देखे मैय्या प्रीत का वासे कहूँ माजरा
पी की डगर मैं बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा
लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी माई री हा
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की माई री

आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
बैयाँ की छैयां आके मिलते नहीं कभी सांवरे
दुःख ये मिलन का लेके काह करूँ कहाँ जाऊं रे
आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
पाकर भी नहीं उनको मैं पाती माई री हा
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की माई री

Curiosidades sobre la música Mai Ri Main Kase Kahoon del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Mai Ri Main Kase Kahoon” de Lata Mangeshkar?
La canción “Mai Ri Main Kase Kahoon” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Majrooh Sultanpuri, Madan Mohan.

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