Mai Hu Pari Rasiya Ras Ki Bhari
मैं हूं पर रसिया रस की भारी
होये मैं हूं पर रसिया रस की भारी
उतरी गगन से मैं कर के श्रृंगार
हो उतरी गगन से मैं कर के श्रृंगार
पिया अंखिया है जादू भारी
नचुंगी तेरे अंगना में
झूम के झूम के झूम के
नचुंगी तेरे अंगना में
झूम के झूम के झूम के
टिके टिके नैन है
और कजरे की धार
एक पल में घायल करे
पायल की झन झन झंकार
नचुंगी तेरे अंगना में
झूम के झूम के झूम के
नचुंगी तेरे अंगना में
झूम के झूम के झूम के
ओ बांके पिया मोर
हटके ना डाल डोर
कर आस मन की पूरी आई हूं द्वार तोरे
क्या तू जो चाहे आसमान के सितारे तोड़ दू
जामिन गगन से जोड़ दू चंदा से रस निछोड दू
क्या सच है सच तो दे वचन तो ले वचन
अच्छा हा हा अच्छा वचन निभाओ
अमृत अभी मगाओ अमृत हा
अमृत से जो नहाऊ मन की मुराद
बन के तुझे रिजौ अपना तुझे बनाउ
कमलादलजलदी ऊंचा भर अमृत का जल
गोरी पे रस की धार छोड़ दे
प्यार का ये तार जोड़ दे जोड़ दे जोड़ दे
खुशी का दिन आया रे घूम के, गम के, घूम के
नचुंगी तेरे अंगना में
झूम के झूम के झूम के