Koi Mere Mathe Ki Bindiya

Gulzar, Laxmikant Pyarelal

ओ ओ हो हो ओ ओ हो हो
घूँघटा गिरा है ज़रा घूँघटा उठा दे
घूँघटा गिरा है ज़रा
घूँघटा गिरा है ज़रा घूँघटा उठा दे
कोई मेरे माथे की बिंदीया सजा दे रे
कोई मेरे माथे की
कोई मेरे माथे की बिंदीया सजा दे रे
मैं दुल्हन सी लगती हूँ दुल्हन बना दे रे
कोई मेरे माथे की

आँखों में रात का काजल लगा के
मैं आँगन में ठंडे सवेरे बिछा दूँ
आँखों में रात का काजल लगा के
मैं आँगन में ठंडे सवेरे बिछा दूँ
मैं आँगन में ठंडे सवेरे बिछा दूँ
जो पैरों में मेहंदी सी अगनी लगा दे रे
कोई मेरे माथे की बिंदीया सजा दे रे
घूँघटा गिरा है ज़रा

ना चिठ्ठी ही आयी ना संदेसा आया
हर आहट पे आने का अंदेसा आया
ना चिठ्ठी ही आयी ना संदेसा आया
हर आहट पे आने का अंदेसा आया
हर आहट पे आने का अंदेसा आया
कोई झूठीमूठी किवडीया हिला दे रे
कोई मेरे माथे की बिंदीया सजा दे रे
कोई मेरे माथे की
कोई मेरे माथे की बिंदीया सजा दे रे
ह्म्‍म्म ह्म्‍म्म ह्म्‍म्म ह्म्‍म्म
घूँघटा गिरा है ज़रा घूँघटा उठा दे

Curiosidades sobre la música Koi Mere Mathe Ki Bindiya del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Koi Mere Mathe Ki Bindiya” de Lata Mangeshkar?
La canción “Koi Mere Mathe Ki Bindiya” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Gulzar, Laxmikant Pyarelal.

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