Guzre Hai Is Tarah Se
गुज़रे है इस तरह से
दुनिया मे दिन हमारे
भीगे रहे हमेशा
आँखो के दो किनारे
गुज़रे है इस तरह से
सिने से राज ओ गम को
हमने लगा के रखा
मजबूरियो को दिल ही दिल
मे च्छूपा के रखा
करते भी क्या आई किस्मत
तेरे सितम के मारे
गुज़रे है इस तरह से
हसरत भारी कहानी
किसा है बेकासी का
लिखा है आँसुओ से
अफ़साना ज़िंदगी का
कुच्छ ना किसी से कहना
आई मेरी बेज़ुबानी
गर्दिश नसीब की है
क्या दोष है किसी का
टूटे चमक चमक
कर तक़दीर के सितारे
गुज़रे है इस तरह से
दुनिया मे दिन हमारे
भीगे रहे हमेशा
आँखो के दो किनारे
गुज़रे है इस तरह से