Din Ja Raha Hai [Classic Revival]

Gulzar, R D Burman

दिन जा रहें है के रातों के साये
अपने समीरे बाकि उठाये
दिन जा रहें है के रातों के साये
अपने समीरे बाकि उठाये
दिन जा रहें है के रातों के साये

जब कोई डूबा रातों का तारा
कोई सवेरा वापस ना आया
वापस जो आये विरान साये
दिन जा रहे है के रातों के साये

जीना था कोई मुश्किल नहीं था
मगर डूबने को साहिल नहीं वा
साहिल पे कोई अब तो बुलावे
दिन जा रहें है के रातों के साये

कांटो की चोरी टूटे ना टूटे
जरा जिंदगी से दामन तो छूटे
कोई जिंदगी के हाथ ना आये
दिन जा रहे हैं के रातों के साये
अपने समीरे बाकि उठाये
दिन जा रहे है

Curiosidades sobre la música Din Ja Raha Hai [Classic Revival] del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Din Ja Raha Hai [Classic Revival]” de Lata Mangeshkar?
La canción “Din Ja Raha Hai [Classic Revival]” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Gulzar, R D Burman.

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