Chhod Atariya Gaye Sanwaria
छ्चोड़ अटरिया गये सवारिया
सारी उमारिया डू तुझे
देश फिरी परदेश फिरी
अब कौन नगरिया ढूंधू तुझे
छ्चोड़ अटरिया गये सवारिया
सिरहन हू बैरगां हू मई
सुख ये काली अबगान हू मई
जहर भी जिसका अमृत मुझको
उसी नाग की नागन हू मई
उसी नाग की नागन हू मई
पनघट मरघाट घाट घाट झूमू
पनघट मरघाट घाट घाट झूमू
बीच बज़ारिया झूमू रे
देश फिरी परदेश फिरी
अब कौन नगरिया ढूंधू तुझे
छ्चोड़ अटरिया गये सवारिया
रुक जा ओ तूफान मेरे
मई तो पिया के गाँव चली रे
रुक ना सको तो मुझे उड़कर
पहुचा दो साजन की गली रे
पहुचा दो साजन की गली रे
पी मिलन की आस लगाए.