Akhiyon Ko Asnaan Kara Ke
अंखियों को अस्नान कराके, मैं दर्शन को आई
मैं दर्शन को आई
अंखियों को अस्नान कराके, मैं दर्शन को आई
मैं दर्शन को आई
टूटे मन को, लेकर मन के, भेंट चढ़ाने आई
मैं दर्शन को आई
साधु ने संयास लिया और अंग भभूत रमाई
अंग भभूत रमाई
साधु ने संयास लिया और अंग भभूत रमाई
अंग भभूत रमाई
धूल बनी राहों की मीर, चरणन बीच समाई
मैं दर्शन को आई
ओ पगली के पगले प्रीतम कैसी प्रीत निभाई
कैसी प्रीत निभाई
ओ पगली के पगले प्रीतम कैसी प्रीत निभाई
कैसी प्रीत निभाई
सखियों का तो जी बहलाया हमरी हँसी उड़ाई
मैं दर्शन को आई
सूना मन का नगर सजाया प्रीत की ज्योत जगाई
प्रीत की ज्योत जगाई
सूना मन का नगर सजाया प्रीत की ज्योत जगाई
प्रीत की ज्योत जगाई
इस नगरी से दूर न जैयो ओ हमरे हरजाई
मैं दर्शन को आई