Aa Khilte Hai Gul O Mere Bulbul

Majrooh Sultanpuri

आ खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल
रुत है जावा तू है कहा दिलरुबा
आ खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल
रुत है जावा तू है कहा दिलरुबा
खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल

मिलजा गले कही ये मिलन कही रुक ना चले
मिलजा गले कही ये मिलन कही रुक ना चले

ओ वही तेरी रहे वोही मेरी आहे
वोही मैं हू वोही दिल मेरा
ओ वही तेरी रहे वोही मेरी आहे
वोही मैं हू वोही दिल मेरा
वोही तेरी बाते वोही मेरी रते
वोही रेज माफी लमेरा
रह के जुड़ा दिल ना दुखा
आ भी जा
खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल

जियरा जले पिया कभी अपने दिन थे भले
जियरा जले पिया कभी अपने दिन थे भले

रुत है जावा तू है कहा दिलरुबा
खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल

रह तेरी तकता गुम से सुलगता
चाँद बेचारा कहा गया
रह तेरी तकता गुम से सुलगता
चाँद बेचारा कहा गया
तूही नही आया ढाल आगेया साया
यहा का तारा वाहा गया
रत ढली झूम चली फिर हवा
खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल
तुम ना मिले खड़ी खड़ी
जालु पिया चंदा तले
तुम ना मिले खड़ी खड़ी
जालु पिया चंदा तले
खिलते हैं गुल ओ मेरे बुलबुल.

Curiosidades sobre la música Aa Khilte Hai Gul O Mere Bulbul del Lata Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Aa Khilte Hai Gul O Mere Bulbul” de Lata Mangeshkar?
La canción “Aa Khilte Hai Gul O Mere Bulbul” de Lata Mangeshkar fue compuesta por Majrooh Sultanpuri.

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