Woh Sham Kuch Ajeeb Thi

GULZAR, INDRAADIP DASGUPTA

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है

वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी

झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसीं में इक, हसीन सा सवाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूँ लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी

मेरा ख़याल हैं अभी, झुकी हुई निगाह में
खीली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी

Curiosidades sobre la música Woh Sham Kuch Ajeeb Thi del Kumar Sanu

¿Quién compuso la canción “Woh Sham Kuch Ajeeb Thi” de Kumar Sanu?
La canción “Woh Sham Kuch Ajeeb Thi” de Kumar Sanu fue compuesta por GULZAR, INDRAADIP DASGUPTA.

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