Ruk Jana Nahin [Lofi]

LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही (ओ राही, ओ राही)

सूरज देख रुक गया है तेरे आगे झुक गया है
सूरज देख रुक गया है तेरे आगे झुक गया है
जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
निकले है अपनी धुन में दीवाना
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही (ओ राही, ओ राही)
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतज़ार के
ओ राही, ओ राही

साथी न कारवां है ये तेरा इम्तिहां है
साथी न कारवां है ये तेरा इम्तिहां है
यूँ ही चला चल दिल के सहारे
करती है मंज़िल तुझको इशारे
देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही
नैन आँसू जो लिये हैं ये राहों के दिये हैं
नैन आँसू जो लिये हैं ये राहों के दिये हैं
ये राहों के दिये हैं
लोगों को उनका सब कुछ देके
तू तो चला था सपने ही लेके
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के
ओ राही, ओ राही

Curiosidades sobre la música Ruk Jana Nahin [Lofi] del Kishore Kumar

¿Quién compuso la canción “Ruk Jana Nahin [Lofi]” de Kishore Kumar?
La canción “Ruk Jana Nahin [Lofi]” de Kishore Kumar fue compuesta por LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI.

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