Pyar Jab Na Diya Zindagi Ne Kabhi [Sad]
प्यार जब न दिया ज़िन्दगी ने कभी
फिर सितमगर कोण हुआ आदमी या ज़िन्दगी
प्यार जब न दिया ज़िन्दगी ने कभी
फिर सितमगर कोण हुआ आदमी या ज़िन्दगी
जुर्म की हैं सजा ये तो जाने सभी
जुर्म की हैं सजा ये तो जाने सभी
कोई मुजरिम क्यों बने ये नहीं मने कभी
साथ जब न दिया ज़िन्दगी ने कभी
फिर सितमगर कोण हुआ आदमी या ज़िन्दगी
दाग लगता रहे फिर भी जीना पड़े
दाग लगता रहे फिर भी जीना पड़े
जिल्लातो रुस्वाइयों का जहर भी पीना पड़े
रहम जब न किया ज़िन्दगी ने कभी
फिर सितमगर कोण हुआ आदमी या ज़िन्दगी
वो तो कहता रहा ज़िन्दगी के लिए
वो तो कहता रहा ज़िन्दगी के लिए
एक मोहब्बत के सिवा
कुछ न मुझको चाहिए
प्यार जब न दिया ज़िन्दगी ने कभी
फिर सितमगर कोण हुआ आदमी या ज़िन्दगी
प्यार जब न दिया ज़िन्दगी ने कभी
फिर सितमगर कोण हुआ आदमी या ज़िन्दगी
आदमी या ज़िन्दगी