Mashriq Se Jo Aaye

LAXMIKANT PYARELAL, ANAND BAKSHI

मसरिक से जो आए मगरिब मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे खासे लोग थे दीवाने हो गये
अरे पूरब से जो निकले पश्चिम मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये

होश मे वो सुन सकते तो उनसे इतना कहना था
शरम वफ़ा हर औरत का एक परदा था एक गहना था
देश इन्होने छोड़ दिया
लेकिन घर मे तो रहना था
अरे घर से जो निकले वो गलियो मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये

इनको कुच्छ भी याद नही ये हर रीत भुला बैठे
अपनी जान के ये दुशमन अपने मीत भुला बैठे
शाम की बंसी राधा के सारे गीत भुला बैठे
अरे गंगा के माजी मदिरो मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये

माना और वतन है ये अपना हिन्दुस्तान नही
इसमे ऐसे लोग भी है जिनकी कुच्छ पहचान नही
जिनकी कुछ तहसीब नही जिनकी कोई दुकान नही
अरे ये जाने पहचाने अंजाने हो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
मसरिक से जो आए मगरिब मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे क़ाहसे लोग थे दीवाने हो गये

Curiosidades sobre la música Mashriq Se Jo Aaye del Kishore Kumar

¿Quién compuso la canción “Mashriq Se Jo Aaye” de Kishore Kumar?
La canción “Mashriq Se Jo Aaye” de Kishore Kumar fue compuesta por LAXMIKANT PYARELAL, ANAND BAKSHI.

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