Chalo Kahin Aur Chalte Hain

Anand Bakshi, Rahul Dev Burman

चलो कहीं और चलते है
चलो कहीं और चलते है

सुनते है यहाँ छुपके बाते
लोग जलते है
चलो कहीं और चलते है (चलो कहीं और चलते है)

है ये जगह खूब है
लेकिन कितनी धूप है
पेड़ के निचे बैठेंगे
आ नहीं दिवार के पीछे बैठे
दीवारों के भी कान होते है
ओ हो आप यु ही बदगुमा होते है
लो ये toffee खाओगे
कब तक यु तरसाओगे
दो दिल बेक़रार है
मुश्किल इंतज़ार है
मेरा भी ये हाल है
शादी में एक साल है
साल में कितने दिन है
जीतने है तेरे बिन है
यही बातें सोच के तो
दिन रात ढलते है
चलो कहीं और चलते है

ऐसे तुम क्यों खो गए
हम भी दीवाने हो गए
हा ये दीवानापन छोडो
देखो यु दिल न तोड़ो
दिन रात तेरी याद आती है
नींद यहाँ किसे आती है
रुत का क्या इशारा हैं
मौसम बड़ा प्यारा है
फिर कब मिलने आओगे
जब भी तुम बुलाओगे
कल का वादा कर जाओ
अच्छा अब तुम घर जाओ
जितना वक़्त भी अपना था
कितना सुन्दर सपना था
सपने कभी कभी झूठे निकलते है
चलो कहीं और चलते है
चलो कहीं और चलते है

Curiosidades sobre la música Chalo Kahin Aur Chalte Hain del Kishore Kumar

¿Quién compuso la canción “Chalo Kahin Aur Chalte Hain” de Kishore Kumar?
La canción “Chalo Kahin Aur Chalte Hain” de Kishore Kumar fue compuesta por Anand Bakshi, Rahul Dev Burman.

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