Soch [Alternative Version]
यह दरया और नदी भी मिलते हैं कहीं
पर रूह जो मेरी माने अक़ल कहती है नही
सोच सोच के थक गया हूँ मैं खोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे
यह आबर और घटा बरस जाए गी कहीं
जब होगी रोशनी तो होगी जन्नत यहीं
यह दरया और नदी भी मिलते हैं कहीं
पर रूह जो मेरी माने अक़ल कहती है नही हो ओ
खोने दो
खोने दो
सोने दो
खोने दो
खोने दो
सोने दो
खोने दो मुझे
खोने दो मुझे
सोने दो
सोच सोच के थक गया हूँ मैं खोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे