Chand Ke Pare [Sad]

Hasmukh Gandhi

हो ओ ओ ओ ओ
सामने है मंजिल पर
फासले बड़े है
ओ ओ ओ ओ
सामने है मंजिल पर
फासले बड़े है
पैरों में न जाने कितने
भंवर पड़े है
अंत के बाद शुरुवात खड़ी है (आ आ आ)
चांद के परे एक रात खड़ी है (चांद के परे एक रात खड़ी है)

Curiosidades sobre la música Chand Ke Pare [Sad] del Javed Ali

¿Quién compuso la canción “Chand Ke Pare [Sad]” de Javed Ali?
La canción “Chand Ke Pare [Sad]” de Javed Ali fue compuesta por Hasmukh Gandhi.

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