Saher Gahe Ide Mein Daur - E - Suboo Tha

Meer Taqi Meer (Traditional), Jagjit Singh

सहर गाह-ए-ईद में दौर-ए-सुबु था
पर अपने जाम में तुझ बिन लहु था
सहर गाह-ए-ईद में

गुल-ओ-आइना क्या खुर्शीद-ओ-माह क्या
गुल-ओ-आइना क्या खुर्शीद-ओ-माह क्या
जिधर देखा उधर तेरा ही रुउ था
सहर गाह-ए-ईद में

मगर दीवाना था घुली किसी का
मगर दीवाना था घुली किसी का
की पहरहां सौ जगका हार
सहर गाह-ए-ईद में

ना देखा 'मीर'-ए-आवारा को लेकिन
ना देखा 'मीर'-ए-आवारा को लेकिन
ग़ुबार इक नातवाँ सा कू-ब-कू था
सहर गाह-ए-ईद में

Curiosidades sobre la música Saher Gahe Ide Mein Daur - E - Suboo Tha del Jagjit Singh

¿Quién compuso la canción “Saher Gahe Ide Mein Daur - E - Suboo Tha” de Jagjit Singh?
La canción “Saher Gahe Ide Mein Daur - E - Suboo Tha” de Jagjit Singh fue compuesta por Meer Taqi Meer (Traditional), Jagjit Singh.

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