Sach Yeh Hai Bekhabar

JAGJIT SINGH, JAVED AKHTAR

सच ये है बेकार हमें ग़म होता है
सच ये है बेकार हमें ग़म होता है
जो चाहा था दुनिया में कम होता है
सच ये है बेकार हमें ग़म होता है

ढलता सूरज, फैला जंगल, रस्ता गुम
ढलता सूरज, फैला जंगल, रस्ता गुम
हमसे पूछो कैसा आलम होता है
हमसे पूछो कैसा आलम होता है

हो ओ ओ ग़ैरों को कब फ़ुरसत है दुख देने की
जब होता है कोई हमदम होता है
सच ये है बेकार हमें ग़म होता है

ज़ख़्म तो हम ने इन आँखों से देखे हैं
हो ओ ओ ज़ख़्म तो हम ने इन आँखों से देखे हैं
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है

ज़हन की शाख़ों पर अशआर आ जाते हैं
ज़हन की शाख़ों पर अशआर आ जाते हैं
जब तेरी यादों का मौसम होता है
जब तेरी यादों का मौसम होता है
जो चाहा था दुनिया में कम होता है
सच ये है बेकार हमें ग़म होता है

Curiosidades sobre la música Sach Yeh Hai Bekhabar del Jagjit Singh

¿Quién compuso la canción “Sach Yeh Hai Bekhabar” de Jagjit Singh?
La canción “Sach Yeh Hai Bekhabar” de Jagjit Singh fue compuesta por JAGJIT SINGH, JAVED AKHTAR.

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