Kya Sach Hai Kya Jhoot Hai

Shiv Shankar Vashisth, Ajay Swami

क्या सच है क्या झूठ है
क्या सच है क्या झूठ है
जीवन की किसी पहचान
समझा है कितने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है क्या झूठ है

जैसे राक के अंदर कोई
अंगारा रह जाता है
जलने के लिए
मौन समर्पण में भी तो
विद्रोह पनपता रहता है
मिटने के लिए
जाने कितने पीर पराई
खेलने से पहले मुर्झाई
अधो में मुस्कान
समझा है कितने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है क्या झूठ है
जीवन की किसी पहचान
समझा है कितने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है क्या झूठ है

जीना बस की बात नहीं है
मरने का अधिकार नहीं
चलना है बड़ी
सांसो पर पहरा बैठा है
जीने में भी सर नहीं
टूटी है कड़ी
झोटे रिश्ते नाटे सारे
अपने ही सपनों से हरे
उल्झन में है प्राण
समझा है कितने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है क्या झूठ है

जीवन है एक लक्ष्मण रेखा
जिस्ने ना इसको देखा
गिरता ही गया
कस्तूरी मृग की तरह
भटका वो जंगल जंगल
घिरता ही गया
पुरी ना होती है चाहे
कितनी अंजनी है राहे
मंजिल है अंजन
समझा है कितने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है क्या झूठ है
क्या सच है क्या झूठ है

Curiosidades sobre la música Kya Sach Hai Kya Jhoot Hai del Jagjit Singh

¿Quién compuso la canción “Kya Sach Hai Kya Jhoot Hai” de Jagjit Singh?
La canción “Kya Sach Hai Kya Jhoot Hai” de Jagjit Singh fue compuesta por Shiv Shankar Vashisth, Ajay Swami.

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