Kainat Chale

GULZAR, JAGJIT SINGH

नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कैनात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कैनात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कैनात चले

तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़्त भी अपाहाज़ है
तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़्त भी अपाहाज़ है
ना दिन खिषाकता है आगे ना आयेज रात चले
ना दिन खिषाकता है आगे ना आयेज रात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कैनात चले

ना जाने उंगली च्छुदा कर
निकल गया है किधर
ना जाने उंगली च्छुदा कर
निकल गया है किधर
बहोट कहाँ था ज़माने से
साथ साथ चले
बहोट कहाँ था ज़माने से
साथ साथ चले
है इंतज़ार के आँखों से
कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कैनात चले

किसी भिखारी का टूटा हुआ कटोरा हैं
किसी भिखारी का टूटा हुआ कटोरा हैं
गले में डाले उससे आस्मा पे रात चले
गले में डाले उससे आस्मा पे रात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कैनात चले
ओ कैनात चले..ओ कैनात चले
ओ कैनात चले..ओ कैनात चले

Curiosidades sobre la música Kainat Chale del Jagjit Singh

¿En qué álbumes fue lanzada la canción “Kainat Chale” por Jagjit Singh?
Jagjit Singh lanzó la canción en los álbumes “Koi Baat Chale” en 2006, “Alfaaz” en 2008 y “Jazbaat” en 2008.
¿Quién compuso la canción “Kainat Chale” de Jagjit Singh?
La canción “Kainat Chale” de Jagjit Singh fue compuesta por GULZAR, JAGJIT SINGH.

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