Ishq Ke Shole Ko Bhadkao

Makhdoom, Jagjit Singh

इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे

हिज्र में मिलने शब-ए-माह के ग़म आए हैं
हिज्र में मिलने शब-ए-माह के ग़म आए हैं
चारासाज़ों को भी बुलवाओ कि कुछ रात कटे

चश्म-ओ-रुख़सार के अज़कार को जारी रखो
चश्म-ओ-रुख़सार के अज़कार को जारी रखो
प्यार के नग़मे को दोहराओ कि कुछ रात कटे
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे

कोह-ए-ग़म और गराँ, और गराँ, और गराँ
कोह-ए-ग़म और गराँ, और गराँ, और गराँ
ग़मज़दों तेशे को चमकाओ कि कुछ रात कटे
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे

Curiosidades sobre la música Ishq Ke Shole Ko Bhadkao del Jagjit Singh

¿Cuándo fue lanzada la canción “Ishq Ke Shole Ko Bhadkao” por Jagjit Singh?
La canción Ishq Ke Shole Ko Bhadkao fue lanzada en 2004, en el álbum “Ishq Ke Shole Ko Bhadkao”.
¿Quién compuso la canción “Ishq Ke Shole Ko Bhadkao” de Jagjit Singh?
La canción “Ishq Ke Shole Ko Bhadkao” de Jagjit Singh fue compuesta por Makhdoom, Jagjit Singh.

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