Baat Niklegi To Phir Door Talak Jayegi

JAGJIT SINGH, KAFEEL AAZAR

बात निकलेगी तो फिर डोर तलाक़ जाएगी
बात निकलेगी तो फिर डोर तलाक़ जाएगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पुच्चेंगे
यह भी पुच्चेंगे के तुम इतनी परेशान क्यूँ हो
उंगलिया उठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरह
चूड़ियों पर भी काई तंज़ किए जाएँगे
काँपते हाथों के भी फ़िकरें कसे जाएँगे

लोग जालिम है हर इक बात का ताना देंगे
लोग जालिम है हर इक बात का ताना देंगे
बातों बातों में मेरा ज़िकर्र भी ले आएँगे
उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
वारना चेहरे के तासूर से समझ जाएँगे
चाहे कुच्छ भी हो सावालात ना करना उनसे
चाहे कुच्छ भी हो सावालात ना करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात ना करना उनसे
बात निकलेगी तो फिर डोर तलाक़ जाएगी

Curiosidades sobre la música Baat Niklegi To Phir Door Talak Jayegi del Jagjit Singh

¿Quién compuso la canción “Baat Niklegi To Phir Door Talak Jayegi” de Jagjit Singh?
La canción “Baat Niklegi To Phir Door Talak Jayegi” de Jagjit Singh fue compuesta por JAGJIT SINGH, KAFEEL AAZAR.

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