Shaam Se Aaj Saans Bhaari Hai

GULZAR, GHULAM ALI SH

शाम से आज साँस भारी हैं बेकरारी हैं बेकरारी हैं
शाम से आज साँस भारी हैं बेकरारी हैं बेकरारी हैं
शाम से आज साँस भारी हैं

आपके बाद हर घड़ी हमने
आपके बाद हर घड़ी हमने
आपके बाद हर घड़ी हमने
आपके साथ ही गुजारी हैं
आपके साथ ही गुजारी हैं
शाम से आज साँस भारी हैं

रात को दे दो चाँदनी किरिदार
रात को दे दो चाँदनी किरिदार
रात को दे दो चाँदनी किरिदार
दिन की चादर अभी उतारी हैं
दिन की चादर अभी उतारी हैं
शाम से आज साँस भारी हैं

कल का हर वाकया तुम्हारा था
कल का हर वाकया तुम्हारा था
कल का हर वाकया तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी हैं
आज की दास्ताँ हमारी हैं
शाम से आज साँस भारी हैं
बेकरारी हैं बेकरारी हैं

Curiosidades sobre la música Shaam Se Aaj Saans Bhaari Hai del Ghulam Ali

¿Cuándo fue lanzada la canción “Shaam Se Aaj Saans Bhaari Hai” por Ghulam Ali?
La canción Shaam Se Aaj Saans Bhaari Hai fue lanzada en 2001, en el álbum “Visaal Coming Together of Gulzar & Ghulam Ali”.
¿Quién compuso la canción “Shaam Se Aaj Saans Bhaari Hai” de Ghulam Ali?
La canción “Shaam Se Aaj Saans Bhaari Hai” de Ghulam Ali fue compuesta por GULZAR, GHULAM ALI SH.

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