Dil Mein Ik Leher

Nasir Kazmi

दिल में इक लहर सी उठी है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी

शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी
कोई दीवार सी गिरी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी

भरी दुनिया में जी नहीं लगता
भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी

कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज
हैं हम भी
हम भी
हम भी
कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज
हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभी
और ये चोट भी नई है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी

शहर की बेचिराग़ गलियों में
गलियों में
शहर की बेचिराग़ गलियों में
शहर की बेचिराग़ गलियों में
ज़िन्दगी तुझ को ढूँढती
है अभी
ज़िन्दगी तुझ को ढूँढती
है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
आ आ हम्म हम्म आ आ हम्म हम्म आ आ अ अ

Curiosidades sobre la música Dil Mein Ik Leher del Ghulam Ali

¿Quién compuso la canción “Dil Mein Ik Leher” de Ghulam Ali?
La canción “Dil Mein Ik Leher” de Ghulam Ali fue compuesta por Nasir Kazmi.

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