Woh Bhi Hai Aadmi
थाम ले आकर हमें जो गम की इस तूफान में
रह गयी इतनी कहा इंसानियत इंसान में
दुनिया मे ज़ुल्म करता वो भी है आदमी
जूलमो सितम से मरता वो भी है आदमी
कोई महल मे रहके फूला नही समाता
गलियों मे बेसहारा आँसू कोई बहाता
सुख चैन से जो रहता वो भी है आदमी
दुख सहके कुछ ना कहता वो भी है आदमी
दुनिया मे ज़ुल्म करता वो भी है आदमी
जूलमो सितम से मरता वो भी है आदमी
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
एक है नसीब वाला जो पालकी मे जाता आ आ
और बदनसीब वो है जो पालकी उठाता
कंधो का भार बनता वो भी है आदमी
बोझा उठाके चलता वो भी है आदमी
दुनिया मे ज़ुल्म करता वो भी है आदमी
जूलमो सितम से मरता वो भी है आदमी
कोई जहा मे आए कोई जहा से जाए
कोई खुशी मनाए मातम कोई मनाए
जिंदा है जिस्म जिसका वो भी है आदमी
मुर्दा कफ़न मे लिपटा वो भी है आदमी
दुनिया मे ज़ुल्म करता वो भी है आदमी
जूलमो सितम से मरता वो भी है आदमी
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ