Aaj Nahin To Kal

Kavi Pradeep

आज नहीं तो कल बिखरेंगे ये बादल
ओ रात के भूले हुए मुसाफिर
सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे

जोड़ ले फिर से टूटी ममता,
बाँध ले प्रेम की डोरी
ज़िंदगानी से डोर भागना
है मॅन की कमज़ोरी
ये सब दुख के पल
एक दिन जाएँगे ताल
ओ रात के भूले हुए मुसाफिर
सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे

धधहक रहा संसार हमारा
डूबा भाग्या सितारा
किसे पता है, इसके भीतर
क्या है प्रभु का इशारा
चिंता छ्चोड़ सकल हर मुश्क़िल होगी सहल
ओ रात के भूले हुए मुसाफिर
सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे
जीवन एक संग्राम है जोगी
संकट से क्या डरना
भाव-सागर में भंवर बिच्च् हैं
हंस हंस पार उतरना
अब तो ज़रा संभाल तेरा जाएगा भाग्या बदल
ओ रात के भूले हुए मुसाफिर
सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे
आज नहीं तो कल बिखरेंगे ये बादल
ओ रात के भूले हुए मुसाफिर
सुबह हुई घर चल
अब घर चल रे

Curiosidades sobre la música Aaj Nahin To Kal del Geeta Dutt

¿Quién compuso la canción “Aaj Nahin To Kal” de Geeta Dutt?
La canción “Aaj Nahin To Kal” de Geeta Dutt fue compuesta por Kavi Pradeep.

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