Rut Ne Jo Bansi Bajayi
सन सनन सन
सनन डोले पवन
च्चन च्चन च्चन
च्चन नाचे रे मन
हो रुत ने जो बंसी
बजाई हुआ रे जिया मगन
सन सनन सन
सनन डोले पवन
च्चन च्चन च्चन
च्चन नाचे रे मन
हो रुत ने जो बंसी
बजाई हुआ रे जिया मगन
भावना मान का पंछी
देखो रे करे पुकार
डोर परबत के
पिच्चे पिया का डेरा
प्रीत की ख़ुसाबू है ऐसी
जो ना च्छुपाए च्छूपे
सारा जाग जाने है
क्या लागे वो मेरा
आ आ आ
मैने कोई चोरी नही
की दिल ये उसे दिया दिया
सन सनन सन
सनन डोले पवन
च्चन च्चन च्चन
च्चन नाचे रे मान
हो रुत ने जो बंसी
बजाई हुआ रे जिया मगन
ज़ील के दर्पण मैं
मुझे आता है वोही नज़र
उसके खुसबू से
महके नज़ारे
वादियों मैं गूँजे हसी
फूलो मैं गाता है वो
कोई कैसे ना भला मान को हारे
आ आ आ
मेरी पॅल्को में
सजी सांसो में बसे
हैं पिया पिया
सन सनन सन
सनन डोले पवन
च्चन च्चन च्चन
च्चन नाचे रे मान
हो रुत ने जो बंसी
बजाई हुआ रे जिया मगन
सन सनन सन
सनन डोले पवन
च्चन च्चन च्चन
च्चन नाचे रे मान
हो रुत ने जो बंसी
बजाई हुआ रे जिया मगन